क्रिप्टो करेंसी और भारतीय बजट: नया टैक्स, नियम और संभावित प्रभाव

1. क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स का नया स्वरूप
सरकार ने बजट 2022 में क्रिप्टो करेंसी पर कराधान को स्पष्ट किया था। इसमें 30% का फ्लैट टैक्स और 1% TDS शामिल किया गया। इसके बावजूद, सरकार क्रिप्टो ट्रांजैक्शन्स को पूरी तरह से ट्रैक नहीं कर पा रही थी।

2. सरकार की चिंता: क्रिप्टो और ब्लैक मनी
सरकार का मानना है कि क्रिप्टो के माध्यम से भारत का पैसा विदेशी बाजारों में जा रहा है। इसके चलते सरकार ने क्रिप्टो एक्सचेंजों को फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) और पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत लाने का निर्णय लिया। हालांकि, क्रिप्टो की जटिल एल्गोरिदम के कारण इसे ट्रैक करना अब भी चुनौती बना हुआ है।

3. 285BA सेक्शन: नया प्रावधान क्या कहता है?
इस साल सरकार ने सेक्शन 285BA जोड़ा है, जो रिपोर्टिंग एंटिटी को अनिवार्य करता है कि वे सभी क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस को पैन कार्ड से लिंक कर रिपोर्ट करें।

-रिपोर्टिंग एंटिटी कौन हैं?
क्रिप्टो एक्सचेंजों को रिपोर्टिंग एंटिटी घोषित किया गया है। इससे पहले, केवल एक्सचेंज के माध्यम से बेची गई क्रिप्टो पर ही 1% TDS कट रहा था, लेकिन P2P (Person-to-Person) ट्रांजैक्शंस इससे बच जाते थे। अब रिपोर्टिंग एंटिटी को हर ट्रांजैक्शन की जानकारी सरकार को देनी होगी।

4. P2P ट्रांजैक्शंस और सरकार की सख्ती
अगर कोई व्यक्ति सीधे किसी दूसरे व्यक्ति को क्रिप्टो बेचता है और कैश में भुगतान लेता है, तो यह ट्रांजैक्शन पहले ट्रेस करना मुश्किल था। लेकिन 285BA के तहत अब रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी और हर लेन-देन का रिकॉर्ड रखा जाएगा।

5. क्रिप्टो पर सरकार की कड़ी निगरानी
सरकार अब दो प्रमुख तरीकों से क्रिप्टो को ट्रैक करने की कोशिश कर रही है:

हार्डवेयर वॉलेट ट्रांजैक्शंस – ब्लैक मनी को रोकने के लिए इन्हें ट्रैक किया जाएगा।

क्रिप्टो एक्सचेंज ट्रांजैक्शंस – सभी एक्सचेंजों को सरकार को रिपोर्टिंग देनी होगी।

इससे सरकार क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस की पूरी चेन को ट्रेस कर सकेगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति A एक्सचेंज से B एक्सचेंज पर ट्रांसफर करता है, तो सरकार इस पूरे रूट को ट्रैक कर सकती है।

6. भारतीय क्रिप्टो निवेशकों के लिए खतरा?
कितने भारतीय क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं?
शेयर मार्केट KYC: 2 करोड़

क्रिप्टो एक्सचेंज KYC: 10 करोड़

क्रिप्टो से जुड़ी ITR फाइलिंग: बहुत कम

इससे यह स्पष्ट होता है कि बहुत से लोग क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं लेकिन इसे टैक्स रिटर्न में घोषित नहीं कर रहे। अब सरकार इस पर सख्त कार्रवाई कर सकती है।

7. पैन कार्ड अनिवार्यता और संभावित टैक्स दर
अब क्रिप्टो निवेशकों को अपना पैन कार्ड अनिवार्य रूप से देना होगा, जिससे सरकार उनकी होल्डिंग्स को ट्रैक कर सके। इससे पिछले वर्षों की अनडिस्क्लोज्ड इनकम भी टैक्स के दायरे में आ सकती है।

संभावित टैक्स दरें
वर्तमान में 30% फ्लैट टैक्स है, लेकिन सरकार इसे बढ़ाकर 75% तक कर सकती है, जिससे बिना घोषित की गई क्रिप्टो इनकम वालों पर बड़ा आर्थिक भार पड़ेगा।

8. विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंजों पर सरकार की कार्रवाई
Binance जैसे विदेशी एक्सचेंज भारत में कई वर्षों से काम कर रहे थे, लेकिन वे PMLE एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं थे।

सरकार ने पिछले साल Binance को ब्लॉक कर दिया, जिससे भारतीय निवेशकों के फंड फ्रीज हो गए।

Binance को PMLE में रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद ही भारत में दोबारा काम करने की अनुमति दी गई।

9. पुराने क्रिप्टो डेटा पर सरकार की नजर
अब सवाल उठता है कि क्या सरकार पिछले वर्षों के क्रिप्टो डेटा को भी एक्सचेंजों से मांगेगी? यदि ऐसा होता है, तो जो निवेशकों ने अब तक क्रिप्टो को टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया था, उन पर भारी टैक्स लगाया जा सकता है।

10. क्या क्रिप्टो निवेशकों के लिए यह खतरे की घंटी है?
अगर सरकार पिछले डेटा को अनडिस्क्लोज्ड इनकम मानकर टैक्स लगा दे, तो निवेशकों को 75% टैक्स भरना पड़ सकता है। इससे क्रिप्टो धारकों को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष:

क्रिप्टो निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अगर आपके पास क्रिप्टो है, तो इसे टैक्स रिटर्न में दिखाना शुरू करें।

सभी ट्रांजैक्शंस को वैध रूप से एक्सचेंज के माध्यम से करें।

P2P लेन-देन से बचें, क्योंकि अब इसे भी रिपोर्ट किया जाएगा।

अगर आपने पिछली क्रिप्टो इनकम नहीं दिखाई है, तो जल्द ही इसे सही तरीके से फाइल करें।

आपको यह जानकारी कैसी लगी? हमें कमेंट बॉक्स में बताएं!

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