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भारत में क्रिप्टोकरेंसी: सख़्त नियमों से नरमाई की ओर?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियमों का सफर हमेशा से उलझन भरा रहा है। 2018 में RBI के प्रतिबंध से लेकर 30% कर और 1% TDS तक, सरकार का रुख सख्त ही रहा है। लेकिन अब वैश्विक बदलावों, खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के क्रिप्टो-समर्थक कदमों के बाद, भारत भी अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करता नज़र आ रहा है। आइए जानते हैं कैसे ट्रंप की नीतियां भारत के लिए नए दरवाज़े खोल सकती हैं
1. अमेरिका का प्रभाव: ट्रंप ने बदली गेम प्लान
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अमेरिका का रुख स्पष्ट रूप से सकारात्मक हुआ है। ट्रंप ने न केवल अपना “मीम कॉइन” लॉन्च किया, बल्कि क्रिप्टो नियमों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक विशेष वर्किंग ग्रुप भी बनाया है। इसका उद्देश्य डिजिटल एसेट्स के लिए नए नियम बनाना और अमेरिका में राष्ट्रीय क्रिप्टो रिजर्व विकसित करना है। यह कदम वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो को मुख्यधारा में लाने का संकेत देता है|
भारत पर असर: अमेरिकी नीतियों के बाद भारत के आर्थिक सचिव अजय सेठ ने स्वीकार किया कि “क्रिप्टो सीमाओं में विश्वास नहीं करती”, और भारत को भी वैश्विक रुझानों के साथ कदम मिलाना होगा
2. भारत का सफर: बैन से लेकर जुर्माने तक
2018 का प्रतिबंध: RBI ने क्रिप्टो लेनदेन पर रोक लगाई, जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया |
- 2022 का कर ढांचा: 30% टैक्स और 1% TDS लागू हुआ, जिससे निवेशकों पर दबाव बढ़ा |
- 2023-24 का कार्रवाई दौर: बिनेंस समेत 9 विदेशी एक्सचेंजों को नोटिस और 188 करोड़ रुपये का जुर्माना |
- RBI की चिंता: पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टो को “100% सट्टा” बताया और पूर्ण प्रतिबंध की मांग की |
3. नरमाई के संकेत: क्या बदलेगा?
- ग्लोबल प्रेशर: अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में क्रिप्टो को अपनाने की रफ्तार से भारत पर नीति बदलने का दबाव ।
- चर्चा पत्र में देरी: सितंबर 2023 में घोषित नियामक दिशानिर्देशों का ड्राफ्ट अभी तक जारी नहीं हुआ, जिससे नए नियमों की उम्मीद बढ़ी ।
- संभावित राहत: कर दरों में कमी, बैंकिंग चैनल्स को सुगम बनाना, और वैधानिक मान्यता जैसे कदमों पर विचार
4. निवेशकों के लिए क्या मायने?
- राहत की उम्मीद: नियमों में ढील से भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों को बैंकिंग सुविधाएं मिल सकती हैं, जिससे ट्रेडिंग आसान होगी ।
- ग्लोबल मार्केट एक्सेस: अमेरिकी नीतियों के साथ तालमेल से भारतीय निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स पर बेहतर अवसर मिलेंगे ।
- जोखिम कम, विश्वास ज्यादा: सरकारी मान्यता से क्रिप्टो में धोखाधड़ी और अस्थिरता का डर कम होगा ।
5. RBI का डिजिटल रुपया: प्रतिस्पर्धा या सहयोग?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल रुपये (CBDC) के विकास पर जोर दे रहा है, जो क्रिप्टोकरेंसी के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि CBDC और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। RBI का लक्ष्य डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित बनाना है, न कि निजी क्रिप्टो को खत्म करना |
निष्कर्ष: क्रिप्टो का भविष्य और भारत की रणनीति
ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक क्रिप्टो बाजार को नई गति दी है, और भारत इससे अछूता नहीं रह सकता। हालांकि सरकार को चुनौतियाँ—जैसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम और निवेशक सुरक्षा—भी ध्यान में रखनी होंगी। अगर भारत नरम रुख अपनाता है, तो यह देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था के नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है। निवेशकों के लिए यह समय सतर्क आशावाद का है!
आपकी राय?
क्या भारत को क्रिप्टो पर प्रतिबंध हटाना चाहिए या नियमों को और सख्त बनाए रखना चाहिए? कमेंट में बताएं!
स्रोत और संदर्भ: आज तक, नवभारत टाइम्स, न्यूज़18, जागरण।