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1. DeepSeek पर गोपनीयता से जुड़ी चिंताएं
DeepSeek, एक चीनी AI एप्लिकेशन, डेटा संग्रहण नीतियों के कारण विवादों में घिरा हुआ है। यूरोपीय गोपनीयता निगरानी एजेंसियों ने इस पर सवाल उठाए हैं क्योंकि इसका सर्वर चीन में स्थित है। इससे डेटा की सुरक्षा पर संदेह बना हुआ है, क्योंकि चीन के साइबर सुरक्षा कानून के तहत वहां की सरकार को डेटा तक पहुंचने का अधिकार होता है।
2. वैश्विक स्तर पर DeepSeek पर प्रतिबंध
DeepSeek पर कई देशों ने प्रतिबंध लगा दिया है। इटली और ताइवान ने इसे सरकारी उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। ऑस्ट्रेलिया ने भी सरकारी कर्मचारियों को इस AI टूल का उपयोग करने से रोका है। अमेरिका में कांग्रेस, NASA और नौसेना ने इस पर बैन लगा दिया है।
3. भारत में AI टूल्स पर सरकारी नजर
भारत के वित्त मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों को DeepSeek और अन्य AI टूल्स (जैसे ChatGPT) का उपयोग न करने की सलाह दी है। सरकार का मानना है कि विदेशी AI टूल्स से संवेदनशील डेटा लीक हो सकता है। इसके चलते भारत सरकार अपने खुद के AI मॉडल विकसित करने की योजना बना रही है।
4. भारत का पहला AI फाउंडेशन मॉडल और IndiaAI मिशन
भारत सरकार ने ₹10,000 करोड़ के बजट के साथ IndiaAI मिशन को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य स्थानीय AI तकनीकों को विकसित करना और डेटा गोपनीयता को सुनिश्चित करना है। भारत में 18,000 हाई-एंड GPUs स्थापित किए गए हैं, जिससे स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और विश्वविद्यालयों को AI विकास में सहायता मिलेगी।
5. AI टेक्नोलॉजी का भविष्य और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
AI तकनीक को लेकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। अमेरिका और चीन के बीच AI नेतृत्व की होड़ जारी है, वहीं भारत भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। DeepSeek विवाद यह दर्शाता है कि AI तकनीक को अपनाने के साथ-साथ सुरक्षा और गोपनीयता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
निष्कर्ष: DeepSeek पर पाबंदियों से यह स्पष्ट होता है कि AI टूल्स के बढ़ते उपयोग के साथ डेटा सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। भारत सरकार अपने खुद के AI मॉडल बनाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।