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1. परिचय
- बजट: वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत सरकार का वार्षिक वित्तीय विवरण, जो आय-व्यय, कर नीतियों और आर्थिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण: मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़, जो पिछले वर्ष की आर्थिक प्रगति का विश्लेषण और भविष्य के लिए सुझाव देता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- प्रथम बजट (1860): जेम्स विल्सन द्वारा ब्रिटिश काल में प्रस्तुत।
- स्वतंत्र भारत का पहला बजट (1947): आर.के. शनमुखम चेट्टी द्वारा।
- महत्वपूर्ण परिवर्तन:
- 2017 में रेल बजट का आम बजट में विलय।
- 2019 में बजट ब्रीफकेस की जगह “बही खाता” का उपयोग।
3. बजट और आर्थिक सर्वेक्षण के उद्देश्य
- बजट:
- आर्थिक स्थिरता, संसाधन आवंटन, सामाजिक न्याय, और बुनियादी ढाँचे का विकास।
- कराधान और व्यय के माध्यम से आर्थिक नीतियों को लागू करना।
- आर्थिक सर्वेक्षण:
- पिछले वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन का मूल्यांकन।
- विकास चुनौतियों और नीतिगत सुधारों पर सिफारिशें।
4. मुख्य अंतर
पैरामीटर | बजट | आर्थिक सर्वेक्षण |
---|---|---|
प्रस्तुतकर्ता | वित्त मंत्री | मुख्य आर्थिक सलाहकार |
संवैधानिक आधार | अनुच्छेद 112 | कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं |
फोकस | भविष्य की योजनाएँ | भूतकालिक विश्लेषण और सुझाव |
5. बजट निर्माण प्रक्रिया
- चरण:
- प्रस्तुति: लोकसभा में बजट पेश करना।
- विचार-विमर्श: संसदीय समितियाँ विभागीय माँगों की जाँच करती हैं।
- मतदान: अनुदानों पर लोकसभा में वोटिंग।
- विनियोग विधेयक: संचित निधि से धन निकालने की अनुमति।
6. बजट के घटक
- राजस्व खाता:
- आय: कर (आयकर, जीएसटी) और गैर-कर (ब्याज, शुल्क)।
- व्यय: वेतन, सब्सिडी, ब्याज भुगतान (गैर-उत्पादक)।
- पूंजीगत खाता:
- आय: ऋण, विनिवेश।
- व्यय: बुनियादी ढाँचा, ऋण चुकौती (उत्पादक)।
7. घाटे की अवधारणाएँ
- राजस्व घाटा: राजस्व व्यय > राजस्व आय।
- राजकोषीय घाटा: कुल व्यय > कुल आय (ऋण को छोड़कर)।
- प्राथमिक घाटा: राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान।
8. सुधार और चुनौतियाँ
- FRBM अधिनियम (2003): घाटे और ऋण को सीमित करने का लक्ष्य।
- मुख्य चुनौतियाँ: अनुमानों में अशुद्धि, योजनाओं का विलंबित क्रियान्वयन।
- हालिया बदलाव:
- जेंडर बजटिंग, परिणाम-आधारित बजटिंग।
- डिजिटल बजट (2021 से पेपरलेस)।
9. नवीन बजटिंग प्रणालियाँ
- शून्य-आधारित बजट: प्रत्येक वर्ष नई आवश्यकताओं के आधार पर आवंटन।
- आउटकम बजट: खर्च के परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना।
- ई-बजटिंग: डिजिटल टूल्स का उपयोग कर पारदर्शिता बढ़ाना।
10. निष्कर्ष
बजट और आर्थिक सर्वेक्षण भारत की आर्थिक नीतियों के मुख्य आधार हैं। इन्हें समझना न केवल परीक्षाओं के लिए बल्कि देश के आर्थिक स्वास्थ्य को जानने के लिए भी आवश्यक है। बजट प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु नवीन तकनीकों और नीतिगत सुधारों पर ध्यान दिया जा रहा है।